मेरी आवाज़ सुनो
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गुस्से से जब वे लाल हो गए /
बुद्धि से तब वे कंगाल हो गए /
लिए निर्णय जब – जब वे गुस्से में /
मत पूछो, हाल उनका बेहाल हो गए /
गुस्से की आग झुलसाता किसी को /
क्रोध की अग्नि जलाता है खुद को /
रखो इसे बहुत दूर या फिर काबू में /
रखके पास इसे कई बेसमाल हो गए /
गुस्से ने अब तक बनाया है किसको /
क्रोध एक मीठा जहर उजाड़ा है सबको /
इस चिंगारी को क्यों भड़कने दे हम /
समझाकर यही हम निढाल हो गए /
राजेश कुमार श्रीवास्तव
(चित्र गूगल से साभार )
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