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इज्जत ( लघु कथा )

मेरी आवाज़ सुनो
मेरी आवाज़ सुनो
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कालबेल बजते ही श्रीमती जी दौड़े -दौड़े आई , दरवाजा खोला और मुस्कुराकर धन्यवाद कहते हुए मेरे हाथ से थैले को ले लिया / फिर थैले से एक -एक कपडे निकालने लगी / कांजीवरम साड़ी, पेटीकोट, डिजायनर ब्लाउज के बाद जैसे ही उन्हें एक शर्ट और पेंट दिखाई दिया उनका खिला चेहरा अचानक से मुरझा गया / उसने ऊँचे आवाज़ में पूछा ” ये किसके लिए ?”
” मैंने अपने लिए लिए है / ”
फिर क्या था सारे कपड़ों को उठाके जमीन पर पटक दी और शुरू हो गई –
” क्या जरुरत थी तुमको पेंट -शर्ट लेने की / दर्जन भर पड़े हुए है / मैं एक -एक पैसा बचा कर घर चलाऊ और तुम्हे उड़ाते देर नहीं लगती /”
मै अपराधी की तरह सर झुकाये सब सुन रहा था /
उनका रिकॉर्ड चालू था -” माना की तुम कमाते हो / लेकिन घर तो मुझे ही सम्हालना पड़ता है न / इस तरह की फिजूलखर्ची करते रहे तो एकदिन पुरे परिवार को सड़क पर आ जाना पडेगा / ”
” लेकिन तुमने ही तो कहा था “- मै उसे उसकी कही बात को याद दिलाना चाहा /
” क्या कहा था ? क्या कहा था ? -उसने मुझसे जानना चाहा /
” तुमने कहा था कि मिश्रा जी के बेटी कि शादी में जाना है / बड़े लोग कि पार्टी है / बड़े-बड़े लोग आएंगे / तुमने अपनी सारी साड़िया एक न एक बार पहन लिया है / इसलिए कोई नया साड़ी पहनना होगा / नहीं तो इज्जत का सवाल है / लोग हसेंगे कि तुम एक ही साड़ी को एकाधिक पार्टियों में पहनती हो / ”
” हाँ वो तो मैंने अपने साड़ी के लिए कहा था/”
” फिर दुकान में मुझे ख्याल आया कि मैं भी तो अपने सारे कपड़ों को अनगिनत बार पहन चुका हूँ / इसलिए मैंने भी अपने लिए नए कपडे ले लिए आखिर पार्टी तो मुझे भी अटेंड करना है /”
मेरे अकाट्य तर्क के सामने श्रीमती जी थोड़ी नरम पड़ती नज़र आई /
फर्श पर पड़े कपड़ों को सहेजते हुए बोली ” खैर छोडो / मैंने और कुछ भी लाने को कहा था /”
” हाँ , लोरियल का फेस क्रीम, फेस पाउडर , और लोटस का लिप लाइनर और लिपिस्टिक तथा काजल सब मिल गया / उसी थैले में है /”
” पार्लर वाली को बोल दिए ना ?”
” हाँ उसे भी बोल दिया हूँ / गोल्ड फेसियल के लिए चार हज़ार लेगी / मैंने उसे ५०० रुपये देकर बुक कर दिया है /”
” धन्यवाद / लेकिन तुम्हे इतने महंगे शर्ट-पेंट नहीं लेने चाहिए थे / पैसे के दिक्क्त चल रहे है / भविष्य के विषय में भी सोचना चाहिए /”
” लेकिन क्या करू / तुम्हारे भैया को महंगे और ब्रांडेड कपडे ही पसंद है जो /”
” तो तुम कब से मेरे घरवालों की पसंद की कपडे पहनने लगे ?”
” ये मेरे लिए नहीं तुम्हारे भैया के लिए ही है / अगले सप्ताह उनका जन्मदिन है और तुम तो उन्हें बिना उपहार दिए मानोगी नहीं / बाजार गया था तो सोचा क्यों नहीं ये भी निपटाता चालू /”
” सचमुच तुम बहुत महान हो / नाहक मै तुम पर गुस्सा कर बैठी / मैं तो भूल ही गई थी / तुम्हे याद है मेरे भैया का जन्मदिन / और कुछ तो उपहार देना ही पडेगा आखिर इज्जत का सवाल जो है / ”
मैंने मन ही मन कहा भले ही मैं अपना सब दिन भूल जाऊ ससुराल वालों का प्रत्येक दिन याद रखना पड़ता है / तूफान से किसे डर नहीं लगता /

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