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बुद्धिजीवी

मेरी आवाज़ सुनो
मेरी आवाज़ सुनो
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अपने मातृभूमि को , माटी का टुकड़ा समझते है /
राष्ट्रप्रेम को जो संकीर्ण मानसिकता कहते है /
राम, कृष्ण को जिसने कोरी कल्पना मान लिया /
रावण बन्दना को ही वे अपना धर्म समझते है /
जिस देश में विजयादशमी को खुशिया मनाई जाती है /
“महिषाषुर शहीद दिवस” मनाकर ये शोक जताते है /
मुग़ल और अफगानों को इन्होने भारतीय मान लिया /
लेकिन आर्यों को अब भी, ये विदेशी बतलाते है /
दूध की किल्लत ने, बच्चों को कुपोषित कर दिया /
सडकों पर गोमांस खाकर धर्मनिरपेक्ष कहाते है /
देश के सुनहरे इतिहास को इन्होने विकृत किया /
अपनी समृद्ध संस्कृति को अब दूषित ये करते है /
राष्ट्रप्रेमियों से घृणा इनको राष्ट्रद्रोहियों को देते साथ /
हिन्दुस्थान में रहने का नहीं योग्यता रखते है /
————- राजेश कुमार श्रीवास्तव

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