मेरी आवाज़ सुनो
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चलो हम सब मिलकर –
सहिष्णुता-असहिष्णुता की खेल को –
ख़त्म कर डाले /
तू मेरे सीने से लिपटो ,
हम तुम्हे गले लगा डाले /
तू हमारे और हम तुम्हारे –
भावनाओं का रखें ख्याल /
बन गई जो दूरियाँ –
उसे सिमटा डाले /
तू मेरे सीने से लिपटो ,
हम तुम्हे गले लगा डाले /
अब न कोई सेंक सके रोटी –
हमारी भावनाओं की-
जलाकर आग /
राजनितिक मुहरा बनने से,
चलो एक दूसरे को बचा डाले /
तू मेरे सीने से लिपटो ,
हम तुम्हे गले लगा डाले /
जिसके गर्भ से जन्मा है –
सैकड़ों जाती, धर्म, संप्रदाय,
जिसके प्यार से पला है –
बढ़ा है , फैला है पूरा संसार /
उस माँ भारती का दामन –
दाग से बचा डाले /
तू मेरे सीने से लिपटो ,
हम तुम्हे गले लगा डाले /
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