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पश्चिम बंगाल में धर्मनिरपेक्षता ????????

मेरी आवाज़ सुनो
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केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनते ही बुद्धजीवियों को भारत की धर्मनिरपेक्षता खतरे में दिखलाई पड़ने लगती है / उन्हें लगता है कि हमारी सामाजिक समरसता के लिए केवल और केवल भारतीय जनता पार्टी ही खतरा है / सरकार क़ी आलोचना , धरना प्रदर्शन से लेकर पुरुष्कार लौटाने तक की याद इन बुद्धजीवियों को केवल बी. जे. पी. क़ी सरकार होने पर ही आती है / इसमें पश्चिम बंगाल के बुद्धजीवी बढ़-चढ़ के भाग लेते है / लेकिन वही बुद्धजीवी पश्चिम बंगाल में हाशिये पर पड़ा लोकतंत्र और अल्पसंख्यक तुष्टिकरण पर मौन साध लेते है / चाहे बामपंथी सरकार हो या ममता बनर्जी के नेतृत्व में चल रहा माँ, माटी, मानुस क़ी सरकार, सभी ने लोकतंत्र को बंधक बना कर रखा है / वोट बैंक खातिर अल्पसंख्यक तुष्टिकरण के लिए इनमे प्रतिस्पर्धा बनी रहती है / युवाओं को यह कहकर बरगलाया जाता है कि पश्चिम बंगाल बुद्धजीवियों का प्रदेश है / यहाँ धर्म कि बात करना संकीर्णता है / लोकतंत्र कि स्थापना के लिए संघर्ष करना बगावत है / ३४ वर्ष तक चली बामपंथी सरकार ने यहाँ कि जनमानस क़ी बौद्धिकता को गुलाम बना लिया है / अब जिसका जमकर फायदा माँ, माटी मानुस की सरकार ले रही है /
बंगलादेश की निर्वासित लेखिका तसलीमा नसरीन की उक्ति जिसमे उन्होंने कहा है कि भारत में हिन्दू विरोध ही धर्मनिरपेक्षता है यहाँ सौ प्रतिशत सही ठहरती है / कुछ ताजे उदहारण इसके प्रमाण है / बिगत तीन वर्षो से बीरभूम जिला के नलहाटी के एक गाँव में दुर्गा पूजा कि अनुमति नहीं है / मुर्शिदाबाद , बीरभूम सहित कुछ जिलो में विद्यालयों में सरस्वती पूजा नहीं करने दिया जाता / पश्चिम बंगाल में निर्धारित तिथि पर दुर्गा विसर्जन कि अनुमति इसलिए नहीं दी गई क्योकि उसदिन मुहर्रम भी था/ कलकत्ते के विश्व प्रसिद्द दुर्गा पूजा उत्सव में बहुप्रचारित विश्वप्रिय पार्क कि विश्व कि सबसे बड़ी दुर्गा प्रतिमा को भीड़ का बहाना बनाकर कपडे से ढक दिया गया/ इसे देखने कि अनुमति नहीं दी गई / पिछले महीने कार्पोरेशन चुनाव में हुए धांधली को कैमरे में रिकॉर्डिंग होने के बावजूद दोषियों के विरुद्ध कोई कदम नहीं उठाया गया / लेकिन यहाँ के कथित बुद्धजीवी या तो चुप थे या फिर विरोध कि खाना- पूर्ति कर के बैठ गए / किसी ने पुरस्कार लौटाना तो दूर सरकार के विरुद्ध एक शब्द भी बोलना गंवारा नहीं समझा / यहाँ के बामपंथियों को बिना मूछों के दाढ़ी रखना तो ठीक लगता है लेकिन माथे पर तिलक लगाना आपत्तिजनक / धार्मिक उत्सवों में हिस्से ना लेने वाले बीफ उत्सव करते फिरते है / जहाँ कही भी अल्पसंख्यकों कि संख्या ३०% से ज्यादा है वहाँ क़ी राजनीती से लेकर प्रसाशन तक सबमे इन्ही की चलती है / यहाँ के बहुसंखयक नेताओं को बीफ उत्सवों में बढ़-चढ़कर हिस्से लेकर गोमांस खाते देखा जाता है लेकिन किसी अल्प्संखयक नेता को सूअर का मांस खाते नहीं देखा जाता / बहुसंख्यक यहाँ दोयम दर्जे के नागरिक बनकर रह जाते है / इस समस्या पर यदि समय रहते नहीं ध्यान दिया जाय तो पश्चिम बंगाल को भी बंगलादेश बनते देरी नहीं लगेगी /
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सडकों पर बीफ utasaw मनाते बुद्धजीवी

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दुर्गा प्रतिमा को बुर्का पहनाया गया /

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हिन्दू प्रधान गांव में दुर्गा पूजा की अनुमति नहीं /

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