अवकाश ग्रहण के महीनो पहले – सेवा निवृत हो जाता है / बची -खुची छुट्टियों का- जमकर लुफ्त उठाता है / जिम्मेवारियों के साथ -साथ – अपूर्ण फाइलों को- कनिष्ठों की तरफ सरकाता है / भविष्यनिधि, पेंसन, ग्रेच्युटी – की सारी औपचारिकताएं – रिटायर्ड होने के पहले ही – जब पूरी कर पाता है / तब वह चैन की वंशी बजाता है / सैनिक अवकाश ग्रहण का समय नजदीक आते ही- शोक में डूब जाता है / मातृ भूमि के सेवा से – निवृत होने को याद कर – ना सोता है ना जाग पाता है / बचे -खुचे समय में- अपने वतन की खातिर – ज्यादा से ज्यादा योगदान हेतु- वह मौत से भी नहीं घबड़ाता है / फिर भी अवकाश ग्रहण के दिन- वरिष्ठों के सामने- सेवा अवधी विस्तार के लिए / रोता है , गिड़गिड़ाता है / मौक़ा मिलते ही – फिर नई उत्साह से – देश सेवा में लग जाता है / नेता पता नहीं अवकाश ग्रहण का – समय क्या कहलाता है ? आँखों से ना दीखता है / ना कानों से सुन पाता है पद पाने के लिए – केवल दौड़ता चला जाता है / वरिष्ठ हो तो कनिष्ठों को- कनिष्ठ हो तो वरिष्ठों को- लंगड़ी मार गिराता है / अस्सी, नब्बे सौ बरस तक भी – पद के लिए लार टपकाता है / हाथ, पैर, जबान जब – सब जबाब दे जाता है / तब भी नेता – अवकाश ग्रहण से कतराता है /
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