Menu
blogid : 14057 postid : 685175

दादाजी (संस्मरण) [Contest ]

मेरी आवाज़ सुनो
मेरी आवाज़ सुनो
  • 104 Posts
  • 421 Comments

दादाजी नब्बे वर्ष के हो गये है लेकिन आज भी उतने ही सक्रीय रहते है जितना वे अपने पचास- पचपन के उम्र में रहा करते थे / हालांकि अब उन्हें चलने -फिरने में तकलीफ होती है और बोलते समय भी जबान लड़खड़ाती है / दांत तो रहे नहीं लेकिन चश्मे की जरुरत नहीं पड़ती / आजतक कभी घडी नहीं पहनी लेकिन कभी भी समय पूछो, सठिक समय बतलाते है / कहते है कि मनुष्य यदि अपनी सांसों की गति को पहचान ले तो वह बिना घडी के ही सठिक समय बतला सकता है / जब भी उन्हें समय जानने कि जरुरत पड़ती है अपनी उंगली को नाक के पास ले जाते है, सांसों की गति देखते है और एकदम सही समय बतला देते है / गांव में द्वार पर आराम- कुर्सी लगाकर बैठ जाते है और अपने हमउम्र साथीयों के साथ अखबार पढ़ना और आज-कल के आधुनिक समाजव्यवस्था की खामियां गिनाना ही उनके आलोचना का मुख्य विषय-वस्तु रहता है / गांव में सभी उनका आदर करते है / आज भी गाव में महत्व्पूर्ण मुद्दों पर उनकी सलाह ली जाती है / मेरे घर में उनके बिना अनुमति के परिंदा भी पर नहीं मार सकता / छोटे बड़े सभी पारिवारिक निर्णयों में उनकी अनुमति लेनी पड़ती है / हालाँकि मेरे दादाजी के चार बेटे है , लेकिन वे मेरे पिताजी जो उनके सबसे बड़े बेटे है को सबसे ज्यादा महत्व देते है / मेरे पिताजी के निर्णयों का वे सम्मान करते है / किसी बात पर यदि दादाजी रूठ जाये तो केवल मेरे पिताजी ही उन्हें मना पाते है / मेरे चाचा लोगों की तो हिम्मत नहीं होती उनके पास जाने की / गांव से उन्हें विशेस लगाव है / मेरे पिताजी की पोस्टिंग शहर में है / यह शहर मेरे गांव से बहुत दूर है / हमलोग दो भाई और एक बड़ी बहन शहर में ही रहते है / बहन स्नातक की परीक्षा पास करने के पश्चात एक स्थानीय विद्यालय में शिक्षिका है / मेरे पिताजी ने मेरी बहन की शादी लडके वालों की मांग के अनुसार जब शहर से करने का निर्णय किया तो दादाजी भड़क गये / कहने लगे अपना घर, अपनी जन्मभूमि छोड़ कर भाड़े के घर से शादी शोभा नहीं देगा / काफी मान-मनौअल के पश्चात वे तैयार हुए / शादी के तयारी शुरू होते ही उन्हें शहर बुला लेना पड़ा/ एक-एक निर्णय उनके अनुमति के बिना सम्भव नहीं था / वे पहली बार शहर मेरे घर आये थे / घर का चारो ओर मुआयना करने के बाद पूछा / अच्छा शादी यहाँ से होगी तो भी शादी का मंडप कहाँ बनेगा यहाँ तो आँगन भी नहीं है जहां मंडप के बॉस गाड़े जा सके / पिताजी ने समझाया की शहरों में एक कमरे में कुछ बांस की टहनियों को लेकर मंडप की औपचारिकता पूरी की जाती है यहाँ बांस से मंडप नहीं बनते / थर्मोकोल और कुछ सजावटी चीजों से बना-बनाया मंडप मिल जाता है / उन्होंने बेमन से ही बात मान ली / फिर जब खाने पिने की मेनू चार्ट बताया गया तो एकदम से भड़क गये / कहने लगे -ये भी कोई पकवान हुई / चाउमिन, फुचका, चाट, कोल्ड्रिंक्स / अरे! पैसा कमा रहे हो तो इसका मतलब ये नहीं की उसमे आग लगा दो / ये भी कोई खाने की चीज है / लस्सी बनवाओं / लड्डू, जलेबी, खिलाओं / गुलाब का शरबत पिलाओं / ये विदेशी लोगों जैसा कोकाकोला पिलाकर पैसा बर्बाद क्यों कर रहे हो / फिर उन्होंने जब सूना की बारात के दिन रात में डिनर में मटन बिरियानी और चिकेन मसाला की भी वयवस्था है तो वे आसमान सर पे उठा लिए / कहने लगे -‘ मंगल कार्यकर्म में तुमलोग मुर्गों और बकरों की ह्त्या करोगे / यदि यही करना है तो मुझे गाव का टिकट कटा दो , मैं नहीं शामिल हूँगा इस शादी में / मारे डर के शाकाहारी मेनू बनाना पड़ा / कैटरिंग पर होने वाले पच्चीस हजार का खर्च सुनकर सर पर हाथ रख लिए / मेरे पिताजी ने उन्हें समझाया की कैटरर के पच्चीस-तिस लोग रहेंगे जो खाने बनाने के साथ-साथ परोसने का भी काम संभालेगे / वे कहने लगे परोसने का काम तो गावों में रिस्तेदार और पडोसी सम्भाल लेते है / पिताजी ने उन्हें समझाया की यहाँ शहरों में कोई किसी के काम नहीं आते / सभी अपने आप में व्यस्त रहते है / किसी से किसी का कोई मतलब नहीं रहता / केवल पडोसी या दोस्त होने के नाते औपचारिकता निभाना जानते है /
गावों जैसा अपनत्व शहरों में नहीं मिलता / यहाँ सबकुछ पैसा ही है / दादाजी को उनका पसंदीदा मुद्दा मिल गया था / लगे शहर और शहरवालों को कोसने / अंत में चेतावनी दे डाली की आइंदा यदि किसी की शादी शहर से हुई तो वे उसमें हिस्सा नहीं लेंगे /

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply