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फेसबुक (कहानी )

मेरी आवाज़ सुनो
मेरी आवाज़ सुनो
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“अबे स -I —ल–/ मैं आधे घंटे से तेरे सामने बैठा हूँ / तेरे डब्बे की सारी बिस्किट खा चुका / अपना और तेरा, दोनों चाय का कप शेष कर डाला / लेकिन तू है क़ि कम्प्युटर से नजर ही नहीं हटाता/ स -I —ल– अब तू कम्प्युटर चला और मैं चला /” मैं गुस्से से कुर्सी से उठते हुए दरवाजे क़ि ओर बढ़ा / गुस्सा आना भी स्वाभाविक था / मेरा इसके यहाँ आये आधे घंटे से ज्यादा बीत चुका था/ वह बिना कम्प्युटर के स्क्रीन से नज़र हटाये मुझे बैठने को बोलकर फिर कम्प्युटर पर व्यस्त हो गया था /
मुझे गुस्से से निकलते देख वह बोला “नहीं यार / दो मिनट और बैठ / मैं “फेसबुक” पर स्टेटस अब्डेट कर रहा हूँ / प्लीज यार / अभी तुरंत हो जायेगा / लगभग समाप्त हो चुका है ”
मैं फिर से बैठ गया और उसको सुनाते हुए धीरे-धीरे बोलने लगा /” ये कौन स -I —ल– फेसबुक लाया / लोगो को बात करने की भी फुर्सत नहीं / जिसे देखो वही कम्प्युटर पर, लैपटॉप पर, मोबाईल पर फेसबुक खोलकर बैठ जाते है / दुनिया जाये भाड़ में इनलोगों को अपने फेसबुक स्टेटस अपडेट करने से जयादा महत्व्पूर्ण काम कोई नजर ही नहीं आता /” रास्ते में, मॉल में , ऑफिस में, ट्रेन में , बसों में घरों में दिन-रात केवल फेसबुक से चिपके रहते है /अब बच्चे और युवाओं की कौन कहे अधेढ़ और बूढ़े भी फेसबुक से चिपकने लगे है / इतना ध्यान यदि समाज सेवा में लगाते तो अपना देश कहाँ से कहाँ पहुँच गया होता /
उसने अब जाकर मॉनिटर से नजर हटाया और हाथो की उँगलियों को सीधा करते हुए बोला ” सुन बेटे तू जिस विषय पर नहीं जानता उसपर ना ही कोई कमेंट कर तो अच्छा / राजनीति पर बोल कोई कबिता सूना या कौन सी कहानी लिख रहा है उसपर चर्चा कर / तेरे मुंह से राजनीती, साहित्य, कबिता , शेरों शायारी ही अच्छी लगाती है / कम्प्युटर पर तो एकदम बोलना छोड़ दे / फेसबुक से तो तेरी एलजी है एकदम नाम मत ले / फेसबुक का नाम ही सुनकर तेरे उसमे खुजली होने लगाती है/ इसलिए तू फेसबुक से दूर रह ”
” हाँ बेटा फेसबुक तो तेरा बाप है ना / उसके बिना तू कैसे रह पायेगा / वही तो तेरा खर्चा चलाता है /” मैंने उसे उत्तेजित करने का प्रयास किया /
लेकिन वह बिना उत्तेजित हुए दार्शनिक अंदाज में बोला /” फेसबुक एक सोसल मीडिया है / इसके द्वारा उनलोगो से दोस्ती और जान-पहचान की जाती है जिससे हम दूर रहने के कारण मिल नहीं पते / उनके सन्देश प्राप्त कर सकते है और अपना सन्देश उनतक पहुचा सकते है / देखो जब से मैंने फेसबुक में अपना अकाउंट खोला है मेरे सैकड़ों मित्र बन गए है / कुछ तो ऐसे भी है जिन्हे मै स्कुल छोड़ने के बाद एकदम से भूल गया था / कुछ विदेशों में जा बसे पुराने मित्रो से रोज-रोज फेसबुक के माध्याम से संपर्क बना रहता है / हम एक दूसरे के पुरे दिन के क्रिया कलाप को शेयर करते है / ऐसा लगता है की हम दूर होकर भी एक ही घर में रह रहे हो /”
वह और कुछ सुनाता उसके पहले ही मै बोल उठा ” इस तरह के काल्पनिक सोसाइटी बना कर किसी का भला नहीं हो सकता / किसी का भला चाहने के लिए “फेसबुक” नहीं “फेस टू फेस” की ज्यादा जरुरत पड़ती है / राजनीति और प्रत्यक्ष समाज सेवा के माध्यम से समाज को सही दिशा में ले जाया जा सकता है / फेसबुक जैसे सोसल नेटवर्किंग की सहायता से अप्रत्यक्ष कम्युनिटी बनाकर केवल अफवाह फैलाया या दंगा भड़काया जा सकता है /”
मेरी बातो से वह तिलमिला गया और जोर आवाज़ में बोला ” इसलिए मै कहता हुँ की तु कम्प्युटर से सम्बंधित कुछ ना बोल / सोसल नेटवर्किंग पर तो एकदम चुप रह / ” फिर मुझे सलाह देने लगा ” अब तो अपने को अब्डेट कर / तू तो जनता है कि आजकल समाज सेवा का सबसे बढ़िया माध्यम सोशल नेटवर्किंग है / हजारो -लाखो नहीं करोड़ों लोग इससे जुड़े है / पिछड़े और जरूरतमंद लोगों की आवाज़ को इसी मंच से उठाया जाता है और उन्हें इसी मंच जो सहायता मिलाती है वह तुम्हारे राजनेता कभी नहीं कर पाएंगे / कल ही एक पोस्ट किया गया था क़ि एक माँ अपने बच्चे के किडनी प्रत्यारोपण के लिए दान चाहती है / महिला बहुत गरीब थी और उसका बच्चा बड़ा होनहार, दशवी कक्षा में पढता था/ लोगों ने एक दिन में ही उसे करीब दस लाख दान में दिए / तुम्हारे राजनेता होते तो क्या ऐसा सम्भव था / ”
मै भी उसके बातो से प्रभावित होने लगा फिर अचानक ख्याल आया क़ि नहीं मुझे इस सोसल नेवर्किंग के दलदल में नहीं पड़ना / अतः मैंने उससे अब इस मुद्दे को यही बंद करने का अनुरोध किया और बोला'” ठीक है अब तु बंद कर / मैं जिस उद्देश्य से यहाँ आया था वह सुन / मिश्रा काका हॉस्पिटल में भर्ती है /’
” कौन मिश्रा काका ” उसने आश्चर्य से मेरी ओर देखा /
” अरे! यार ! तेरे बिल्डिंग के सोलह नंबर क्वार्टर वाले / ”
” ओ अच्छा, हां समझा / वो बूढ़े काका / कभी भी बाहर दिखाई नहीं देते”
” सा—ल—/ दिखते नहीं कि तू देखता नहीं / तु बाहर निकलेगा तो तु जानेगा ना / ”
“हाँ क्या हुआ उनको ” उसने मुझसे जानना चाहा /
” कल बाजार से लौटते समय मोटरबाइक से टकरा गए / सर फट गया / बहुत खून निकला है / मैं बाजार में ही था / हास्पिटल में भर्ती कराया /”
” हाय !/ ये तो बहुत बुरा हुआ / बड़े सज्जन वयक्ति है / हमेशा मुझे बेटा कहकर पुकारते है /’
” तो तु सुन उनके प्राथमिक इलाज के लिए जो खर्च लगा वह मैंने चुकता कर दिया है . अब सम्भवतः उनके सर का सर्जरी करवाना पडेगा / काफी रुपये क़ि जरुरत है / उनके परिवार वालों को खबर देनी होगी / ‘
” उनका तो शायद कोई नहीं है / मैंने कभी किसी को उनके यहाँ आते जाते नहीं देखा/”
” तु देखेगा भी कैसे / तुझे फेसबुक से फुरसत मिले तब तो तु पड़ोसियों का खबर लेगा /”
” फिर तु फेसबुक पर बोलने लगा /”
” सुन / उनका एक लड़का है जो UAE में इंजीनियर है / वह इनसे संपर्क नहीं रखता / काका रिटायर्ड कर्मचारी है / पेंशन के पैसे से अपना खर्च चलाते है / पत्नी को गुजरे पाँच साल हो गए / और ज्यादा जानकारी नहीं है / तुरंत पैसे का इंजेजाम नहीं हुआ तो उनकी मौत हो सकती है ”
” हाँ ये तो बहुत बुरा होगा/”
” कुछ नहीं होगा / तेरे पास यदि उनके किसी रिश्तेदार का कोई फोन नंबर हो तो उनसे संपर्क कर / घटना की जानकारी दे / और हां फिलहाल उन्हें खून की आवस्यकता है / उनका ब्लड ग्रुप O – निगेटिव है और मुझे पता है की तेरा भी ग्रुप O – निगेटिव ही है / इसलिए तु तुरंत हास्पिटल चल और एक बोतल खून दे /”
” मांफ कर यार / अभी मेरी तबियत ठीक नहीं है / बहुत कमजोरी है / मैं खून नहीं दे सकता / हाँ एक काम कर सकता हूँ / फेसबुक पर एक अपील पोस्ट कर सकता हूँ / बहुत सारे लोग मदद को मिल जा सकते है / और फेस बुक पर उनके रिश्तेदारो को भी खोजने का प्रयास करता हूँ /”
” तु फेसबुक पर मुंह मरा / मैं चला हास्पिटल” कहकर मैं उसके कमरे से बहार निकल कर हॉस्पिटल की ओर चल पड़ा/

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