Menu
blogid : 14057 postid : 632877

बलात्कार (एक लघु कथा)

मेरी आवाज़ सुनो
मेरी आवाज़ सुनो
  • 104 Posts
  • 421 Comments

कल फिर एक बलात्कार की खबर को कवर करने के लिए शहर से पच्चीस किलोमीटर दूर चिरौली नामक एक गाँव में जाना पडेगा- यह सोच कर ही मन काँप उठता है / चिरौली गाँव जाने का रास्ता बहुत ही दुर्गम हैं / कोई गाड़ी या बस उस गाँव तक नहीं जाती/ कच्चे रास्तों से होकर उस गाँव तक पहुचने का एकमात्र साधन साइकिल ही हैं / नहीं तो पैदल चलना छोड़कर कोई उपाय नहीं / लेकिन जब प्रोड्यूसर साहब का आदेश है तो जाना ही पडेगा / रात के दस बज रहे है और खाने के मेज पर भोजन भी परोस दिए गए हैं / लेकिन फिर भी मैं कल सुबह निकलने की तैयारी पूरी कर ले रहा हूँ /
मैं अपने सहकर्मियों और अपने चैनल के दर्शकों में “बलात्कार स्पेशलिस्ट” के नाम से प्रसिद्ध हूँ /
कुछ गलत अंदाज लगाना शुरू मत कर दीजिएगा / ऐसी प्रसिद्धि मुझे मेरे प्रोड्यूसर साहब के कृपा से मिली है / कही भी बलात्कार की खबर मिलते ही वे मुझे कवर करने के लिए भेज देते है / शहरों का पार्क में बलात्कार हो या गाडी में / गावों का खेतों में बलात्कार हो या जबरन घरों में घुसकर दबंगों द्वारा बलात्कार/ अधेड़ महिला का बलात्कार हो या मासूम बच्ची का सामूहिक बलात्कार सब मुझे ही कवर करना पड़ता हैं / अब तो चैनल पर मेरा चेहरा आते ही लोग अंदाज लगा लेते है की कोई बलात्कार होने वाला है / ओह! यह क्या बोल गया / अरे! हम मीडिया वालों को सनसनी फ़ैलाने की आदत जो पड़ गई है / मांफ कीजिएगा, मैं कहना चाह रहा था क़ि लोग अंदाज लगा लेते है की कोई बलात्कार की खबर प्रसारित होने वाली है / खैर जो भी हो मैं बुरा नहीं मानता / पापी पेट का सवाल जो ठहरा / यदि बलात्कार से ही मुझे और मेरे परिवार की रोजी-रोटी चलती है तो फिर इससे क्यों डरना /
रात के ग्यारह बजने वाले थे और मैं कल की तैयारी पूरी करके जैसे ही खाने के मेज पर बैठा प्रोड्यूसर साहब का फोन आ गया /
” तुरंत शहर के विक्टोरिया पार्क थाने पहुँचिये / पार्क में एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ है / पीडिता थाने में रिपोर्ट लिखाने पहुची है / हो सकता है उसे कल सुबह मेडिकल जांच के लिए हॉस्पिटल भेजा जाये / हम इस दर्दनाक घटना की पल-पल की जानकारी अपने दर्शकों को लाइव दिखाना चाहते है /”
” लेकिन, मुझे तो कल सुबह ही चिरौली गांव जाना पडेगा/ आपने ही कहा था कि वहाँ शौच के लिए खेत जा रही एक दलित महिला के साथ कुछ गांव के ही दबंगों ने सामूहिक बलात्कार किया है/ हम तो कल इस खबर को अपने चैनल पर प्रसारित करने वाले है ” मैंने प्रोड्यूसर साहब को जबाब दिया /
“भाड़ में जाये गांव का बलात्कार / विक्टोरिया पार्क वाली खबर कवर कीजिये / शहर का हाई-प्रोफाइल केस है / सुनने में आ रहा हैं कि लड़की और बलात्कार करने वाले लडके सभी ऊँचे घरानों से ताल्लुक रखते हैं / कल से ही सभी चैनलों पर यह खबर चौबीसों घंटे प्रसारित होने लगेगा/ कही हम यह खबर प्रसारण में पीछे ना हो जाये इसलिए आप तुरंत निकलिए /”
प्रोड्यूसर साहब के ये आदेश से मैंने असहमति प्रकट की/
मैंने उन्हें समझाना चाहा -” लेकिन सर चिरौली वाली घटना ज्यादा महत्व्पूर्ण है / वहाँ एक गरीब दलित महिला के साथ अत्याचार हुआ है / दबंगों के भय से पुलिस भी पीड़िता को मदद करने को तैयार नहीं है / हम मीडिया वालों को अपने कर्त्तव्यों का पालन करनी चाहिए / इस घटना को मीडिया ने यदि कवर नहीं किया तो मामला दबा दिया जायेगा / इस तरह एक गरीब दलित महिला न्याय पाने से वंचित हो जायेगी / शहर की घटना में दोनों पक्ष पहुँच वाले हैं / अतः मीडिया की जरुरत उनसे ज्यादा गांव के पीड़ितों को है / यदि उस दलित महिला को न्याय नहीं मिला तो दबंगों का मन और बढ़ जायेगा और कमजोर महिलाये हमेशा उनकी शिकार होती रहेंगी / अतः हमें चिरौली वाली घटना को प्रमुखता देनी चाहिए /”
” देखीये / कर्त्तव्य का पालन आप तभी कर सकते है जब आपका चैनल चलेगा / और चैनल को चलाने के लिए मसालों की जरुरत पड़ती है / ज़रा सोचिये आप को उस गांव में क्या मिलेगा जिसे दर्शक पसंद करेंगे / आपके प्रत्येक प्रश्न के जबाब में पीड़िता और उसके परिवार के लोगों का दहाड़ मारकर रोना मिलेगा/ ना ही कोई प्रेम कहानी , ना कोई स्कैंडल / आप क्या सोचते है , पीड़िता आपको उस घटना का कोई व्यौरा दे पाने की स्थिति में होगी / जबकि विक्टोरिया पार्क में लड़की रात में वहाँ अपने पुरुष मित्रों के साथ पार्टी मना रही थी / जिनपर उसके साथ बलात्कार करने का आरोप है वे उसके मित्र ही थे / अतः आपको वहाँ हर कुछ मिलेगा जिसे दर्शक देखना और सुनना पसंद करते है / पीड़िता भी पूरी स्मार्ट है / जाहिर है उससे आपको उस पल की एक-एक जानकारी मिल जायेगी जिसे लोग खूब पसंद करेंगे / दोनों पक्षों के हाई-प्रोफाइल घरानो से ताल्लुक रखने के कारन यह खबर कई दिनों तक सुर्खिया बटोरता रहेगा और हमारी टीआरपी बढ़ती रहेगी / यदि कुछ आंदोलन होने शुरू हो गए तो अपनी तो चाँदी ही चाँदी है /”
प्रोड्यूशर साहब बड़े खुश लग रहे थे / लेकिन मैं भी कहाँ हार मानने वाला था/ मैंने कहा -” सर, यदि हम मीडिया वाले यदि टीआरपी बढ़ाने के ही चक्कर में पड़े रहे तो समाज के पिछड़े, दबे-कुचले, शोषित लोग तो मरते रहेंगे /”
उन्होंने झल्लाते हुए कहा-” आपको मीडिया में नहीं किसी NGO में होना चाहिए था?” इतना कह कर उन्होंने फोन रख दिया /
मुझे उनकी सलाह पसंद आई / अगले दिन मैं चिरौली गांव में था और मेरा त्यागपत्र प्रोड्यूसर साहब के टेबल पर /

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply