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मेरे घर में खाना कौन बनाएगा ये मेरा पडोशी निर्णय करेगा

मेरी आवाज़ सुनो
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आज शितिश जी ने रागनाथ जी को सीधे शब्दों में कह दिया की यदि उन्होंने अपने घर में खाना बनाने की जिम्मेवारी अपने बड़े बहु को सौप दिया तो वे उनसे अपना सत्रह वर्षो का दोस्ती तोड़ देंगे /
रागनाथ जी समझाने लगे ” यह तो हमारा अपने परिवार का मामला है / मेरी पत्नी अब बूढी हो चुकी है / बड़ी बहु का खाने बनाने का अच्छा रिकार्ड है / मायके में अब तक वह बड़ी कुशलता पूर्वक अपनी पारिवारिक जिम्मेवारी निभाती रही है / उसके इसी रिकार्ड को देखकर हमारे परिवार के सदस्यों ने निर्णय लिया है की कल से रसोईघर की जिम्मेवारी बड़ी बहु ही सम्हालेगी /
शितिश जी चिल्लाने लगे ” आज आप रसोईघर की जिम्मेवारी अपने बहु को दे रहे है कल फिर उसे घर की मालकिन बना देंगे / हमने आप से दोस्ती आपके बहु को देखकर नहीं की थी / अभी आपकी पत्नी रसोईघर की जिम्मेवारी सम्हालने लायक तो है ही फिर आप उसे बदलकर हमारे दोस्ती में खटास क्यों डालना चाहते है /
रागानाथ जी बोले “आखिर बहु को जिम्मेवारी देने से आपके और हमारे दोस्ती में दरार क्यों पड़े/ मैं अपने पत्नी को परिवार की सलाहकार की भूमिका में रखकर उसे आराम देना चाहता हु ताकि वह दीर्घजीवी हो और परिवार की मुखिया बनी रहे /”
शितिश जी ने जबाब दिया ” आपकी बहु की सुन्दरता और मायके में सफलता पुर्बक पारिवारिक जिम्मेवारी निभाने तथा अपने परिवार को शिखर पर पहुचाने के रिकार्ड को देखकर कुछ पडोशी उन्हें पसंद नहीं करते / उनको जिम्मेवारी देने से हमें नए मित्र मिलने तो दूर मेरी पत्नी ही रूठ जायेगी जो आपके पत्नी को देखकर जल-भुन जाती है /”
रागनाथ-” लेकिन मुझे भी तो अपना परिवार देखना है / कब तक तक मैं अपने पड़ोशियों के नाराज होने के डर से उनका निर्णय अपने परिवार पर थोपता रहूंगा / पिछले दुर्गापूजा और होली मिलन समारोह में आपके कहने पर ही हमने उसे आपके घर जाने से मना कर दिया था ताकि आपकी बहु -बेटी उसके सामने नीचा ना हो जाये / ”
शितिश जी और रागनाथ जी पुरानी यादों में खो गए – दोनों परिवार का कही से कोई दूर -दूर तक नाता नहीं था / दोनों परिवार विकास के लिए दिन-रात परिश्रम करते थे / लेकिन इनके विकास में सबसे बड़ी बाधक बन गई थी मोनिया भाभी और उनका परिवार और यह परिवार कालू जी के परिवार को प्रत्यक्ष और परोक्ष दोनों तरह से खुलकर मदद करता था/ और इसलिए योग्यता के वावजूद शितिश जी और राग्नाथ जी के परिवार को इस अंचल में कुछ विशेस पहचान नहीं बन पा रही थी / कहते हैं ना की दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है / इसलिए कालू जी के परिवार को निपटने के लिए शितिश जी और रागनाथ जी के परिवारवालों ने हाथ मिलाया और उसका अच्छा परिणाम भी निकला / आज इअ अंचल में चारो ओर इनकी तूती बोलती है / लेकिन जबसे रागनाथ जी के घर नई बहु आई और उसके गुणों की चर्चा चारों ओर फैलने लगी तब कुछ लोग जो सितिश के खासमखास थे वे रूठने लगे / उनके अनुरोध पर ही रागनाथ जी अपने बहु को उनके यहाँ कभी नहीं भेजते थे / लेकिन जबसे रागनाथ जी अपने परिवार में अपने इस बहु का कद उंचा करना प्रारंभ किया है तबसे सितिश जी अपने खासमखास भाइयों के ( जो बिना वजह उनके बहु से चिढ़ते है) रूठने के डर से रागनाथ जी से अपना वर्षो पुराना दोस्ती तोड़ने के लिए तैयार हो गए है /
रागनाथ जी-“सितिश जी एकबार आप फिर से सोच लीजिये /”
सितिश जी-“सोच लिया है / आपके नई पीढ़ी के जिम्मेवारी लेने से हमारा नुकसान है /”
रागनाथ जी-” तो ठीक है आज से हमारे और आपके बिच का रिश्ता शेष / और इसके लिए आप जिम्मेवार है / ”
और इस तरह दोनों परिवारों का रिश्ता समाप्त हो गया /

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