मेरी आवाज़ सुनो
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मेरी एक रचना जो जनसत्ता के साप्ताहिक पत्रिका “सबरंग” में प्रकाशित हुई थी उस समय मै जूनियर स्कुल में पढता था/ यदि आपके बच्चों को पसंद आया तो सूचित कीजिएगा /
देश हमारा सबसे प्यारा /
देश हमारा सबसे प्यारा
सबसे न्यारा सबका दुलारा /
आजादी के दीवानों ने-
इसे सजाया इसे संवारा /
यहीं हिमालय यहीं हैं गंगा /
डूबे सूरज निकले चन्दा/
चाहे जितने आये विदेशी /
डिगा ना पाए इसकी संस्कृति /
ऊँचें पर्वत समतल मैदान /
बहती नदियाँ तो कही पठार /
ग्रीष्म, शीत, बसंत, मेघ बरसते /
देवता भी जहाँ आने को तरसते /
आओ सब मिल कसमें खाएं /
इसे डूबने से हम बचाएं /
इसके खातिर मर मिटने से –
कभी नहीं हम घबराएँ /
राजेश कुमार श्रीवास्तव (राजन)
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