मेरी आवाज़ सुनो
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हे माँ अब इस धरा पर तुम आना नहीं।
गोवंश सब कसाईखानें में शेष,
तुमको लाने को बैलगाडी पाउँगा नहीं।
पेट्रोल, डीजल के आसमान छूते दाम ,
मोटर पे बैठा ला पाउँगा नहीं।
भय, भूख, भ्रष्टाचार ने तोड़ दी कमर ऐसी,
अपने कंधो पर बैठा ला पाउँगा नहीं।
आम, केला सेव सब केमिकल में सने,
नकली फूलों का हार पहनाऊंगा नहीं।
धुप, दीप, नौबेद, घी सब मिल रहे मिलावटी,
नकली पूजन सामग्री चढाऊंगा नहीं।
अब तो घर में ही छुपे आतंकीयो से परेशान हैं हम,
तुम्हारे सुरक्षा की गारंटी दे पाउँगा नहीं।
हे माँ अब तुम इस धरा पर फिर आना नहीं।
लेकिन हे माँ-
जब हो जाये भारत भय, भूख, भ्रष्टाचार मुक्त,
फिर तुम आना यहाँ भूल जाना नहीं।
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